दूध पिलाने के बाद मां बच्चे को पेट के बल सुला देती है। बच्चे का दूध हजम जल्दी आ जाए। लेकिन शायद वो यह नहीं जानती है, बच्चे को पेट बल सुलाना
उनके लिए नुकसानदायक हो सकता है। उसकी डेथ तक हो सकती है। दिनभर में बच्चे का टमी टाइम 30 मिनट रखें। जब उसे पेट के बल सुलाएं तब पेरेंट्स वहीं होने चाहिए। इस पीरियड में बच्चे को उल्टी या अन्य कोई परेशानी होती हैं। पेरेंट्स उसे तुरंत संभाल सके। इस तरह सुलाने से सड़न डेथ रिस्क बढ़ती है। कुछ देशों में इस तरह सुलाने से बच्चे की डेथ भी हो चुकी है। बच्चे को उल्टे पेट नहीं सुलाएं।
मोबाइल के साथ खाने से कॉर्डिनेशन नहीं सीख पाता बच्चा
मोबाइल के साथ बच्चे में खाने की आदत विकसित नहीं करें। इसका ब्रेन की ग्रोथ पर उल्टा असर पड़ता है। क्योंकि मोबाइल से पैसिव फीडिंग होती है। इससे बच्चा कॉर्डिनेशन बैठाना सीख नहीं पाता है। इससे निगेटिव असर आना शुरू होता है। ऐसे बच्चे देरी से बोलते हैं। इनमें सोश्यल इंटरैक्शन डवलप नहीं हो पाता है। बच्चे को मोबाइल के बजाय अन्य चीजों के साथ खिलाएं। ताकि उनके ब्रेन में सही तरीके से स्टीमुलेशन हो पाए। ब्रेन की ग्रोथ हो पाएं।
आईक्यू बढ़ाने वाले गेम खिलवाएं
जब बच्चा छह से नौ महीेने का हो जाएं। उस इस तरह के खिलौने से खिलाएं। जिससे उसका आईक्यू बढ़े। इसके लिए उसे खेलने के लिए स्कवायर दें। उन्हें एक पर एक रखवाएं। अलग-अलग शेप के खिलौने और ब्लॉक्स दें। ये उनके ब्रेन को स्टीमुलेट करेगा। अबेकस टाइप रिंग दें। दो से तीन साल की उम्र में उसे किताबें और पैन दें। जब वो लकीरें खींचना शुरू करेगा। इससे वो कॉर्डिनेशन बनाना सीखेगा। इसके अलावा मां की एजूकेशन, जीन का बच्चे के ब्रेन से संबंध है। मां की एजूकेशन अच्छी होगी। बच्चे की देखभाल सही तरीके से करेगी। ब्रेन का डवलपमेंट बेहतर होगा। डाइट में उसे प्रोटीन, अनसैचुरेटेड फूड्स, अखरोट,सी फूड्स दें।